सम्भाषणम्:अर्थशास्त्रम् अध्याय 01
भवता एतादृशमेकं पृष्टं प्रति संबंधनम् अनुसृतम्, यत्पृष्ठं न इदानींयावत् विद्यते। पृष्ठं स्रष्टुम् अधःप्रदत्तायां पेटिकायां टंकणं करोतु (सहाय्यार्थं अत्र क्लिक्करोतु। चेद्भवान् अत्र भ्रान्तिना आनीतोऽस्ति तदा स्वकीये ब्राउसर् इत्यस्मिन् बैक् इत्यस्मिन् क्लिक्करोतु।) प्रबोधःभवान् न प्रविष्टोऽस्ति !
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