"प्रज्ञां-परिमित-हृदय-सूत्र" इत्यस्य संस्करणे भेदः

नवीन पृष्ठं: आर्य अवलोकितेश्वर बोधिसत्त्वो गम्भीरायाम प्रज्नापरामिताया...
 
No edit summary
पङ्क्तिः १:
आर्य अवलोकितेश्वर बोधिसत्त्वो गम्भीरायाम प्रज्नापरामितायाम चर्याम चरमानो व्यवलोकायती समा | पंचा स्कन्धः, ताम्स्चा स्वभावाशून्यान पश्यति स्मा ||
 
इह शारिपुत्र रूपं शून्यता शून्यतैवा रूपं| रूपान्ना पृथक शून्यता, शून्यताया न पृथग रूपं| यद्रूपं सा शून्यता , या शून्यता तद्रूपं ||
एवमेव वेदानासंज्ञा संस्कार विज्ञानानी ||
 
इहं शरिपुत्र सर्वधर्माः शून्यता लक्षणा अनुत्पन्ना अनिरुद्धा अमला न विमला नोना न परिपूर्णः |
"https://sa.wikibooks.org/wiki/प्रज्ञां-परिमित-हृदय-सूत्र" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्